Priyanka06

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लेखनी कहानी -09-Oct-2022 मंगल पांडे के वीर सिपाही

रचीयता--प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक-मंगल पांडे थे एक वीर सिपाही

मंगल पांडे थे एक वीर सिपाही,
हम सुनाते उनकी कहानी,
उन की शौर्य गाथा पूरे भारत में छाई।

आज सुनाते एक वीर योद्धा की बातें,
नाम था उनका मंगल पांडे,
कहलाये पहले क्रांतिकारी योद्धा।

पहला स्वतंत्र संग्राम किया आरंभ,
दिया उन्होंने "मारो फिरंगी" का नारा,
भारतीयों का बढ़ाया हौसला,
बने वो एक विख्याती सेना।

19 जुलाई को बनाई जाती जयंती,
आज मना रहे हैं 194 वीं जयंती।
दे रहे हैं उन्हें श्रद्धांजलि।

19 मार्च 1857 में अंग्रेजो के खिलाफ खोला मोर्चा,
ईस्ट इंडिया कंपनी में बने सैनिक योद्धा,
भारतीयों पर हो रहे थे अत्याचार,
ना सहन कर पाए मंगल पांडे।

कारतूस को दांत से काटना,
ऊपरी लगा था चर्बी का हिस्सा,
सूअर गाय के मांस से उसे बनाया,
सुन इस बात को मंगल पांडे बोखलाया।

9 फरवरी 1857 को राइफल दिया गया,
मुंह में लगाकर काटने को कहा गया,
मंगल पांडे ने कर दिया  मना,
सुन इस बात को मच गया तहलका।

अंग्रेज अधिकारी को आया गुस्सा,
19 मार्च 1857 को सेना से निकालने का फरमान सुनाया,
अंग्रेज अफसर हेयर सेन की तरफ से  बोला गया हमला,
पर किसी ने नहीं बढ़ाये कदम आगे,
मंगल पांडे के कदम ना डगमगाए,
अंग्रेजों के सीने पर गोली दागते  गए।

ना चाहते थे मैं पकड़ा जाऊं,
मैं अपने सीने पर गोली स्वयं खाऊं,
हो गया था घायल बदन,
अंग्रेज सैनिकों ने लिया पकड़।

6 अप्रैल1857 को किया उन्होंने कोर्ट मार्शल,
8 अप्रैल को मिली फांसी की सजा,
अंग्रेजो के खिलाफ बैरकपुर में बिगुल बजाया,
जंगल में इस बात को आग की तरह फैलाया,
विद्रोह की चिंगारी जा पहुंची मेरठ की छावनी,
10 मई 1857 को हो गई बगावत।

आई अंग्रेजों पर शामत,
जल्लादों ने किया इनकार,
फांसी नहीं देंगे हम आज,
बुलाया गया उन्हें बाहर।

मंगल पांडे को पहनाया फांसी का हार,
ना आई मुंह पर एक भी शिक्कत,
खुशी-खुशी मौत को किया स्वीकृत।

पूरे भारत में मंगल पांडे का जागा नारा,
1857 का 'भारत स्वतंत्र संग्राम 'रहा पहला,
मंगल पांडे ने दिया अपना बलिदान,
रचा  भारत में अपना इतिहास।

महान पुरुषों की प्रतियोगिता भाग-5





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6 Comments

Behtarin rachana 🌸👍

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Gunjan Kamal

12-Oct-2022 06:25 PM

बहुत खूब

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Raziya bano

12-Oct-2022 05:10 PM

Bahut khub

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